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रुपरेखा : महिला सशक्तिकरण - भारतीय संविधान के अनुसार - प्राचीन समय - महिलाएँ राष्ट्र के भविष्य - महिलाओं की सच्ची महत्ता - भारत के महिलाएँ - महिलाओं का जागृत होना जरुरी है - महिला सशक्तिकरण के उच्च लक्ष्य- उपसंहार।
महिला सशक्तिकरण | महिला सशक्तिकरण क्या है | महिला सशक्तिकरण की परिभाषाअपने सपने पुरे तथा अपनी निजी स्वतंत्रता और स्वयं के फैसले लेने के लिए महिलाओं को अधिकार देना ही महिला सशक्तिकरण है। समाज और परिवार के हित में फैसले, अधिकार, विचार, आदि सभी पहलुओं से महिलाओं को अधिकार देना तथा उन्हें स्वतंत्र बनाना ही महिला सशक्तिकरण का रूप है। समाज में सभी क्षेत्रों में पुरुष और महिला दोनों को बराबर का सम्मान देना और दोनों को बराबर का दर्जा देना महिला सशक्तिकरण का उदेश्य है। देश, समाज और परिवार के उज्वल भविष्य के लिए महिला सशक्तिकरण बेहद जरुरी है। महिलाओं को स्वच्छ और उपयुक्त पर्यावरण की जरुरत है जहाँ वो हर क्षेत्र में अपना फैसला, विचार प्रस्तुत कर सकें चाहे वो स्वयं, देश, समाज या परिवार के लिए हो। देश को पूरी तरह से विकसित बनाने तथा विकास में आगे बढ़ने के लिए महिला सशक्तिकरण बेहद जरुरी है।
भारतीय संविधान के अनुसार, पुरुषों की तरह सभी क्षेत्रों में महिलाओं को बराबर का अधिकार देने के लिए कानूनी दर्जा दिया है। भारत में महिलाओं और बच्चों के उचित विकास के लिए महिला और बाल विकास विभाग सभी अच्छे से कार्य कर रहे है। सदियों से भारत में महिलाएँ अग्रणी भूमिका में थी हालाँकि उन्हें हर क्षेत्र में हस्तक्षेप की इज़ाजत नहीं मिली। उज्वल विकास का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को सफल बनाने के साथ ही देश का भविष्य को भी सुनिश्चित करती है। विकास की मुख्यधारा में महिलाओं को आगे लाने के लिए भारतीय सरकार के द्वारा कई योजनाओं को निरुपित किया किया गया है। देखा जाए तो पूरे देश की जनसंख्या में महिलाओं की भागीदारी आधे की है तथा महिलाओं और बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए हर क्षेत्र में इन्हें पूरी तरह की स्वतंत्रता की जरुरत है।
भारत एक ऐसा प्रसिद्ध देश है, जहाँ प्राचीन समय से ही अपनी सभ्यता, संस्कृति, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा, धर्म और भौगोलिक विशेषताओं के लिए जाना जाता है। वही दूसरी ओर, ये अपने पुरुषवादी राष्ट्र के रुप में भी जाना जाता है। भारत में महिलाओं को पहली प्राथमिकता दी जाती है हालाँकि समाज और परिवार में उनके साथ बुरा व्यवहार भी किया जाता है तथा उन्हें निचा दिखाया जाता है। आज महिला को घरों की चारदीवारी तक ही सीमित रहती है और पारिवारिक जिम्मेदारीयों के लिए बस समझा जाता है। उन्हे अपने अधिकारों और विकास से बिल्कुल अनजान रखा जाता है। भारत के लोग इस देश को माँ का दर्जा देते है लेकिन माँ के असली अर्थ को कोई नहीं समझता।
आज देश में आधी से भी कम आबादी महिलाओं की हो गयी है। इसीलिए देश को विकास में शक्तिशाली बनाने के लिए महिला सशक्तिकरण बहुत जरुरी है। उनके उचित वृद्धि और विकास के लिए हर क्षेत्र में स्वतंत्र होना तथा उनके अधिकार को समझाना ही महिलाओं को अधिकार देना है। महिलाएँ राष्ट्र के भविष्य के रुप में एक बच्चे को जन्म देती है इसीलिए बच्चों के विकास और वृद्धि के द्वारा राष्ट्र के उज्जवल भविष्य को बनाने में उनका सबसे बड़ा योगदान रहता है। महिला विरोधी पुरुष से पीड़ित होने के बजाय उन्हें सशक्त होने की जरुरत है। इसी से राष्ट्र का भविष्य उज्वल और राष्ट्र का विकास साकार होगा।
नारी सशक्तिकरण के नारे के साथ एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठता है कि क्या महिलाएँ सचमुच में मजबूत बनी है ? क्या देश में महिला सचमुच सुरक्षित है ? क्या उनका लंबे समय का संघर्ष खत्म हो चुका है ? राष्ट्र के विकास में महिलाओं की सच्ची महत्ता और अधिकार के बारे में समाज में जागरुकता लाने के लिए मातृ दिवस, अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस, आदि जैसे कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम सरकार द्वारा लागू किये गये है। आज महिलाओं को कई क्षेत्र में अब भी विकास की जरुरत है। अपने देश में उच्च स्तर की लैंगिक असमानता है जहाँ महिलाएँ अपने समाज, परिवार के साथ ही बाहरी समाज से भी बुरे बर्ताव से पीड़ित है। समाज में अपनी ही पहचान बनाने के लिए उनको दर-दर से अपमान का सामना करना पड़ता है।
भारत में अशिक्षित की संख्या में महिलाएँ सबसे अव्वल है। नारी सशक्तिकरण का असली अर्थ तब समझ में आयेगा जब भारत में उन्हें अच्छी शिक्षा दी जाएगी और उन्हें इस काबिल समझा जाएगा कि वो हर क्षेत्र में स्वतंत्र होकर फैसले कर सकें। भारत में महिलाएँ हमेशा परिवार के बीच में होती है, और उचित शिक्षा और आजादी के लिए उनको कभी भी मूल अधिकार नहीं दिये गये। महिला वो पीड़ित है जिन्होंने पुरुषवादी देश में हिंसा और दुर्व्यवहार को झेला है। भारतीय सरकार के द्वारा शुरुआत की गयी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए राष्ट्रीय मिशन के अनुसार वर्ष 2011 जन गणना में इस कदम की वजह से कुछ सुधार आया। इससे महिला लिगांनुपात और महिला शिक्षा दोनों में बढ़ौतरी हुई। वैश्विक लिंग गैप सूचकांक के अनुसार, आर्थिक भागीदारी, उच्च शिक्षा और अच्छे स्वास्थ्य के द्वारा समाज में महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने के लिए भारत में कुछ ठोस कदम की जरुरत है।
आज देश में महिलाओं का जागृत होना बहुत जरुरी है। एक बार जब वो अपना कदम उठा लेती है, तभी परिवार आगे बढ़ता है, गाँव आगे बढ़ता है और राष्ट्र विकास की ओर उन्मुख होता है। भारत में, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सबसे पहले समाज में उनके अधिकारों और मूल्यों को मारने वाले उन सभी बुरा सोच को मारना जरुरी है जैसे दहेज प्रथा, अशिक्षा, यौन हिंसा, असमानता, कन्या हत्या, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, बलात्कार, वैश्यावृति, मानव तस्करी, आदि। लैंगिक भेदभाव राष्ट्र में सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक अंतर ले आता है जो देश को पीछे की ओर ढ़केलता है। भारत के संविधान में उल्लिखित समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए महिलाओं को सशक्त बनाना सबसे महत्वपूर्ण कार्य है।
लैंगिक समानता को प्राथमिकता देने से पूरे भारत में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है। आज जरुरी है की महिलाएँ शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रुप से मजबूत हो। एक बेहतर शिक्षा की शुरुआत बचपन से घर पर हो सकती है, महिलाओं के उत्थान के लिए एक स्वस्थ परिवार की जरुरत है जो राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है। आज भी कई पिछड़े क्षेत्रों में माता-पिता की अशिक्षा, असुरक्षा और गरीबी की वजह से कम उम्र में विवाह और बच्चे पैदा करने का प्रथा है। महिलाओं को मजबूत बनाने के लिए महिलाओं के खिलाफ होने वाले दुर्व्यवहार, लैंगिक भेदभाव, सामाजिक अलगाव तथा हिंसा आदि को रोकने के लिए सरकार आज कई सारे कदम उठा रही है तथा कड़ी नियम बना रही है।
महिलाओं की समस्याओं का उचित समाधान करने के लिए महिला आरक्षण बिल जो की108वाँ संविधान संशोधन का पास होना बहुत जरुरी हो गया है। ये संसद में महिलाओं की 33% हिस्सेदारी को सुनिश्चित करता है जो महिला के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। आज देश के दूसरे क्षेत्रों में भी महिलाओं को सक्रिय रुप से भागीदार बनाने के लिए कुछ प्रतिशत सीटों को आरक्षित किया गया है। सरकार को महिलाओं के वास्तविक विकास के लिए पिछड़े ग्रामीण क्षेत्रों में जाना होगा और वहाँ की महिलाओं को सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं और उनके अधिकारों से अवगत कराना होगा। जिससे सभी महिलाओं का भविष्य बेहतर हो सके। महिला सशक्तिकरण के सपने को सच करने के लिए देश के सभी नागरिक को अपना योगदान देना होगा तथा महिला को पुरुष के समानता दर्जा देना होगा।
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